मद्धम सी चलती हैं फ़िज़ाएँ जिसमें उड़ना चाहे दिल पतंग थोड़े हैं तेरी-मेरी छत में फ़ासले हम मिटाएँ, पास आएँ मेरी ज़िंदगी तेरे सवालों पे रुकी जो तू हो मेरे संग, हो जाऊँ मैं मलंग तेरी आँखों में मेरी परछाई जो दिखी लेकर सारे रंग उड़ जाए ये पतंग ♪ छोटी-मोटी बातें अनकही उनमें है छुपी एक कहानी तूने जो उस डोर को खींचा अपने ही शहर पे हुए लापता मेरी ज़िंदगी तेरे सवालों पे रुकी जो तू हो मेरे संग, हो जाऊँ मैं मलंग तेरी आँखों में मेरी परछाई जो दिखी लेकर सारे रंग उड़ जाए ये पतंग