गुम, हुए गुम वो गुम, कहीं गुम कहते थे हमको वो, "जाना ना हमसे दूर" बाँहों में रहते थे, मिलता था उनको सुकूँ छूते थे जब साँसें होता था ये महसूस ना जाने क्यूँ हुआ तुमसे प्यार इतना क्यूँ? गुम, हुए गुम वो गुम, कहीं गुम गुम, हुए गुम वो गुम, कहीं गुम उनकी ज़िद के आगे हम रहा करते चुप लगता था वो हम से रहते हैं काफ़ी खुश ग़लतियाँ करके वो ना करते थे क़ुबूल हँसते थे ये कह के, तुम मेरी हो एक" गुम, हुए गुम वो गुम, कहीं गुम गुम, हुए गुम वो गुम, कहीं गुम (गुम) अलग एहसास है, कल तक जो खास थे, आज ना साथ हैं (हुए गुम) रोते थे मिलने को जो कभी, आज ना करते वो बात हैं (वो गुम) घुटन सी होती है अकेलेपन में बड़ी, बने लाश हैं (कहीं गुम) उनकी दीवारों से हटे, अब बीच हमारे दीवार है (गुम) किया बर्बाद है खुद को खुद के लिए कुछ फ़ैसलों से (हुए गुम) फासले लेके वो आए हैं, बने अनजाने वो हरकतों से (वो गुम) ख़्वाब जो देखे थे ख़्वाबों के साथ में, ख़्वाब ही रह गए (कहीं गुम) लफ़्ज़ों से होता बयाँ ना ये दर्द का सिलसिला, क्या कहें?