तेरी-मेरी दास्ताँ, बातें, रातें सब कहीं खोने को हैं, गुम कहीं होने को हैं अब तो जाने ना सभी, पल वो जीने 'गर कभी हम चाहेंगे, क्या कभी मिल पाएँगे? बची बस तस्वीरें, ये भी अब लगी चुभने तेरे ना होने से क्या मेरा होना? तेरे लिए एक नया जहाँ सजा दिया है आ के तू कभी मिल लेना यहाँ अपने नूर से भर देना समाँ रहा ना जाए तेरे बिना कहीं भी आ के तू कभी मिल लेना यहाँ कह दे तू जो भी, सच होगा यहाँ कुछ पल भी संग तेरे लगते हैं जैसे बरसों की कोई ख़्वाहिश हो गई है पूरी यहाँ और चाहें भी क्या? धुन भी सभी पूछे यही क्या तू जहाँ है, ख़ुश है वहीं? या तू भी चाहे देखना मेरे संग तारों भरा ये आसमाँ ग़नीमत है कि अब हर पल ना तेरी यादें सताए, रुलाए, बस चाहें कहना तेरे लिए एक नया जहाँ सजा दिया है आ के तू कभी मिल लेना यहाँ अपने नूर से भर देना समाँ रहा ना जाए तेरे बिना कहीं भी आ के तू कभी मिल लेना यहाँ कह दे तू जो भी, सच होगा यहाँ