तेरे बारे में सोचते दिन है जाता निकल बदली-बदली सी क्यूँ ये है फ़ितरतें आजकल? दिल में मेरे तू घर कर गया खाली था जो तू वो भर गया गुस्ताखियाँ होने दे, मनमानियाँ होने दे गुस्ताखियाँ होने दे, मनमानियाँ होने दे, होने दे ♪ ये डूबे-डूबे से जो लमहात है ये भीगे-भीगे से जो जज़्बात है ये डूबे-डूबे से जो लमहात है ये भीगे-भीगे से जो जज़्बात है ये इश्क़, ये चाहत कब इबादत बन गई, क्या पता दिल में मेरे तू घर कर गया बेरंग थी मैं, तू रंग गया गुस्ताखियाँ, मनमानियाँ होने दे गुस्ताखियाँ होने दे, मनमानियाँ होने दे कैसे ये जो चुप सी थी कुछ बातें? हाँ सुन लिया तूने सब बिन कहे बोलना, हाए ♪ गुस्ताखियाँ होने दे, मनमानियाँ होने दे