छोड़ा तेरा वतन छू के तेरा ज़हन मैं हूँ यहीं कहीं है ये तेरा वहम जब कोई हवा तेरे कानों में आयेगी मैं हूँ या ना हूँ मेरी आवाज़ आयेगी हम रहेंगे तेरी आस की प्यास में जुगनूओं की तरह जल के हर रात में मेरी हर एक ग़ज़ल रुक के तुझसे कहे "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" मैं मिलूँगा वहीं यादों के अक़्स में मुझे ढूंढना नहीं तुम हर शख़्स में अल्फ़ाज़ बन के तेरे लबों पे आऊंगा माफ़ करना मुझे मैं ये दोहराऊंगा जो खुल ना सके ऐसे एक राज़ में जो होगी ही नहीं ऐसी बरसात में मेरी आरज़ू भीग के ज़िस्म में कहे "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" जब ख़्वाब में भी ज़िक्र ना हो कोई मेरा याद में भी धुंधला दिखे चेहरा मेरा तब भी आँखें मूँद के चुप-चाप मेरे पास आ जा ना पकड़ के किसी नज़्म का सिरा काट देना किस्से मेरे अपने दाँत से पर मिलूँगा मैं अनकही हर बात में मेरी शायरी तेरी ज़ुबां पे छुप के कहे "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें" "आवाज़ याद रख़ना, हम रहें ना रहें"