चल-चले अपने घर, ऐ मेरे हमसफ़र बंद दरवाज़े कर, सबसे हो बेख़बर प्यार दोनों करें रात भर टूटकर चल-चले अपने घर, हमसफ़र चल-चले अपने घर, हमसफ़र ना जहाँ भीड़ हो, ना जहाँ भर के लोग ना शहर में बसे लाख़ों लोगों का शोर चंद लम्हें तू इनसे मुझे दूर कर चल-चले अपने घर, हमसफ़र चल-चले अपने घर, हमसफ़र दूरियाँ दे मिटा, जो भी है दरमियाँ आज कुछ ऐसे मिल, एक हो जाएँ जाँ भर मुझे बाहों में, ले डुबा चाह में प्यार कर तू बेपनाह, ख़त्म बेचैन रातों के हो सिलसिले यूँ लगा ले मुझे आज अपने गले खोल हर बंदिशें, आज मुझमें उतर चल-चले अपने घर, हमसफ़र चल-चले अपने घर, हमसफ़र चल-चले अपने घर, हमसफ़र