कहीं और ले चलो दुनिया है खड़ी नीचे कि ज़िंदगी छोड़कर कहीं और ले चलो एक दिन बातों में कभी बातों में ही सही ले चलो कहीं और हालात के हाथों क़ैदी हैं दोनों जो होगा होने दो कहीं और ले चलो मुझको ♪ कहीं और ले चलो कहीं और ले चलो मुझको ♪ यहाँ पे नहीं, कहीं दूर चलें एक छोटा सा बसेरा, अँधेरे में बस हम हैं चाँदनी रातों में बातों के सिवा ये लम्हें (लम्हें), ये फ़ासलें (फ़ासलें) बे-सबर हैं दोनों इन ख़्वाबों को तुम ओढ़ लो ज़रा जो होगा होने दो कहीं और ले चलो ♪ कहीं और ले चलो कहीं और ले चलो मुझको