तुझसे जुदा होने का मुझे डर सताने है लगा, रुलाने है लगा ना है अब सुकूँ, बस तेरा ही जुनूँ जगाने है लगा, तड़पाने है लगा हर राहतों की बन गए तुम दुआ जाऊँ जिधर भी, हैं तेरे ही निशाँ ये दुनियाँ तुझमें ही दिखे, जान-ए-जाँ खोई रहूँ तुझमें ही हर पल ♪ मेरी मंज़िल तुझ तक है, तू ही मेरी जन्नत है जिस पल में ना तू वो है पल एक सज़ा रब से बस ज़िक्र तेरा है, तेरी ही फ़िक्र सदा है तुझ बिन लगती है हर खुशी बेवजह तुझमें ही सब है दिखता, तुझमें ही रब है दिखता तुझमें ही सारा दिखता है जहाँ मंज़िल की राहों में हो, क़िस्मत की बाँहों में हो कभी ख़्वाबों में भी ना होना मुझसे जुदा हर राहतों की बन गए तुम दुआ जाऊँ जिधर भी, हैं तेरे ही निशाँ ये दुनियाँ तुझमें ही दिखे, जान-ए-जाँ खोई रहूँ तुझमें ही हर पल ♪ तेरे ही सजदे करती, तुझसे ही सजती-सँवरती तुझ बिन लगती है जैसे छाँव भी ये धूप तुझसे जब दूरी होती, धड़कन में तड़पन होती लगता है जैसे तू खुदा का है रूप तुझ बिन कुछ भी ना भाए, देखूँ तो चैन है आए ना देखूँ तो हूँ जैसे मैं मर रही रब का शुक्राना करती, शुक्राने में हूँ कहती कभी मुझको ना तू करना तुझसे जुदा हर राहतों की बन गए तुम दुआ जाऊँ जिधर भी, हैं तेरे ही निशाँ ये दुनियाँ तुझमें ही दिखे, जान-ए-जाँ खोई रहूँ तुझमें ही हर पल