रात में आबाद हो शौकीन हो घमासान हो मुलाकात हो और आराम हो समय भी मिले और दिन भी ढले ये क्या खेल है? कि हम कैद हैं कि महफूज़ हैं पर नाराज़ हैं चलते चले कौन थे लोग? निकले थे जो घर की ओर जिंदाबाद हो और आराम हो बागीचों में भी इक अंदाज़ हो जिंदाबाद हो और इक शाम हो जब इस रात पे मुझे नाज़ हो ♪ जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो जिंदाबाद हो