हवाएं जो चली रोम-रोम असर हुआ साँसों से धड़कन का तय सफ़र हुआ बादलों पे किसी ने आईना जो रखा महसूस नदियों को अंगारा हुआ दिल के हालातों से अज़नबी रास्तों से कुछ ऊंचा सोच से है कुछ गहरा अहसासों से कहे मुझे "मैं ज़िंदा हूँ" "मैं ज़िंदा हूँ" ज़िंदा हूँ ज़िंदा हूँ बेगानी रात का कोई टूटता तारा सहारा ले रहा हँसीं का परिंदों से खेले रूख वो अावारा सहारा बन रहा नमी का १ आधी सी अधूरी २ दिलों की दास्तां जिसे पूरा करने आया वो किस्सा बन चुका शायद इसीलिए "मैं ज़िंदा हूँ" "मैं ज़िंदा हूँ" "मैं ज़िंदा हूँ" हो, ज़िंदा हूँ मुझे मरने के सौ ग़ुनाह दे फिर जीने की १ वज़ह दे मेरे ज़ख़्मों पे मरहम लगा हाँ, फिर से उन्हें ज़ख़्म बना दे ए, हो, हो, वो, हो हो, ओ, हो, ओ