क्रोध के सहारे टिक रहा अहंकार है ना सवारी जिसकी वो भी यहाँ सवार है सच्चाई तो यहाँ उसके आगे एक दीवार है क्रोध के सहारे टिक रहा अहंकार है इन पापों की कतार में हवस का भी है सिलसिला कर्म की जो तृष्णा है अतृप्त रहती उसकी चाह इसलिए तो गरजे आज फिर ये आस्मां डरना इन नज़रों में फिर डरे यहाँ महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी अधर्मी, हवसी, ताण्डवि, कपटी, बलात्कारी है उसके पापों के करम अब भी वैसे जारी है अधर्म की ये राह पे तृष्णा दर्द बाटें है धर्म की है नियति उसी की राह काटे है इसीलिए तो गरजे आज फिर ये आसमां डरना इन नज़रों में फिर डरें यहाँ महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी पवन की भाँति हौले से मोती बदल जाएंगे (जाएंगे) आयुदोष, मृत्युमोक्ष विजय गीत गाएंगे (गाएंगे) पवन की भाँति हौले से मोती बदल जाएंगे आयुदोष, मृत्युमोक्ष विजय गीत गाएंगे निकट-निकट करता कणो में समा वो जाएगा भविश्य-वर्तमान फिर महाकाल बताएगा महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी महाकाल आ रहा महाकाल आ रहा इन पापों की कड़ी फिर से जुड़ने लगी