हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे पर हम वफ़ा कर ना सके हमको मिली उसकी सज़ा हम जो खता कर ना सके हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे पर हम वफ़ा कर ना सके कितनी अकेली थी वो राहें हम जिन पे अब तक अकेले चलते रहे तुझसे बिछड़ के भी, ओ, बेख़बर तेरे ही गम में जलते रहे तूने किया जो शिकवा हम वो गिला कर ना सके हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे पर हम वफ़ा कर ना सके तुमने जो देखा-सुना सच था, मगर कितना था सच, ये किसको पता जाने तुम्हें मैंने कोई धोखा दिया जाने तुम्हें कोई धोखा हुआ इस प्यार में सच-झूठ का तुम फ़ैसला कर ना सके हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे पर हम वफ़ा कर ना सके