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Vandana Bhardwaj - Shri Ram Chalisa lyrics

Artist: Vandana Bhardwaj

album: Diwali Special - Aarti, Mantra, Chalisa


श्री रघुवीर भक्त हितकारी
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई
ता सम भक्त और नहिं होई

ध्यान धरें शिवजी मन माहीं
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं
जय जय जय रघुनाथ कृपाला
सदा करो सन्तन प्रतिपाला
दूत तुम्हार वीर हनुमाना
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना
तब भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला
रावण मारि सुरन प्रतिपाला

तुम अनाथ के नाथ गुसाईं
दीनन के हो सदा सहाई
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं
चारिउ वेद भरत हैं साखी
तुम भक्तन की लज्जा राखी
गुण गावत शारद मन माहीं
सुरपति ताको पार न पाहीं

नाम तुम्हार लेत जो कोई
ता सम धन्य और नहिं होई
राम नाम है अपरम्पारा
चारिहु वेदन जाहि पुकारा
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो
शेष रटत नित नाम तुम्हारा
महि का भार शीश पर धारा

फूल समान रहत सो भारा
पावत न कोऊ तुम्हरो पारा
भरत नाम तुम्हरो उर धारो
तासों कबहुं न रण में हारो
नाम शत्रुहन ह्रदय प्रकाशा
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी
सदा करत सन्तन रखवारी

ताते रण जीते नहिं कोई
युद्ध जुरे यमहूं किन होई
महालक्ष्मी धर अवतारा
सब विधि करत पाप को छारा
सीता नाम पुनीता गायो
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो
घट सो प्रकट भईं सो आईं
जाको देखत चन्द्र लजाई

सो तुम्हरे नित पांव पलोटत
नवो निद्धि चरणन में लोटत
सिद्धि अट्ठारह मंगलकारी
सो तुम पर जावै बलिहारी
औरहु जो अनेक प्रभुताई
सो सीतापति तुमहिं बनाई
इच्छा ते कोटिन संसारा
रचत न लागत पल की बारा

जो तुम्हरे चरणन चित लावै
ताको मुक्ति अवश्य हो जावै
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा
निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी
सत्य सनातन अन्तर्यामी
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै
सो निश्चय चारों फल पावै

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं
सुनहु राम तुम तात हमारे
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे
तुमहिं देव कुल देव हमारे
तुम गुरूदेव प्राण के प्यारे
जो कुछ हो सो तुम ही राजा
जय जय जय प्रभु राखो लाजा

राम आत्मा पोषण हारे
जय जय दशरथ राज दुलारे
ज्ञान ह्रदय दो ज्ञान स्वरूपा
नमो नमो जय-जय जगपति भूपा
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा
नाम तुम्हार हरत सन्तापा
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया
बजी दुन्दुभी शंख बजाया

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन
तुम ही हो हमारे तन मन धन
याको पाठ करे जो कोई
ज्ञान प्रकट ताके उर होई
आवागमन मिटै तिहि केरा
सत्य वचन माने शिव मेरा
और आस मन में जो होई
मनवांछित फल पावे सोई

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै
साग पत्र सो भोग लगावै
सो नर सकल सिद्धता पावै
अन्त समय रघुवर पुर जावै
जहाँ जन्म हरि भक्त कहावै
श्री हरिदास कहै अरु गावै
सो वैकुण्ठ धाम को पावै
सो वैकुण्ठ धाम को पावै
सात दिवस जो नेम कर
पाठ करे चित लाए
हरिदास हरी कृपा से
अवस्य भक्ति को पाए
राम चालीसा जो पढ़े
राम चरण चित लाए
जो इच्छा मन में करे
सकल सिद्ध हो जाए

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