ज़िन्दगी की खेल में
कौन जीता, कौन हारा
चलो देखें आज
गाना नंबर ३६
Mike मेरे control में, beat पे मैं समझाता
Rap करना शौक मेरा, इज़ात करने मज़ा आता
देर हो गइली रात को, दूध पी के दवा खाता
देर हो गइली बात को, माफ़ कर के चला जाता
कला माता, बाप कौन, गीत बैटा, फलां चाचा
पंटर लोग का साथ दूँ, जेल की तक हवा खाता
ज़िन्दगी अजीरन, कमा कम गंवा ज्यादा
काश होता cash झोल, बात अपनी बड़ा पाता
काश मुझे लोग सुनते, इज्ज़त थोड़ी कमा पाता
फूँक चुका भार-तौल में, छोड़ी आदत मज़ा जाँचा
ज़िन्दगी का साफ़ रह कर, तोहफ़ा तेरा अन्ना दाता
आखिर जीत-हार में, दोनों का ही खुला खाता
खाता, खाता
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी की असलीयत है
घर पे पत्ते माँ को देके, वापस field पे ज़रा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो बोझ बनती
वज़नी कंधे, अंतिम पल में, असली बनने आरा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो मुसीबत है
आधे रास्ते हार से डर कर, वापस मुड़ के जारा कौन
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी एक फ़लसफ़ा है
खाली पन्ने खुद से भरने, नफ़्ज से लड़ने आरा कौन
बचपन से सिखाया गया, "सीधे चलो, धीमें चलो"
लेकिन मेरा रास्ता उबड़-खाबड़, आड़ा-टेढ़ा
लोगों से मैं डरता था, मन मुताबिक चलता था
साहिल का किनारा लगे, मंज़िल पास सहारा लगे
हर दिल में मुझे बसना था, नाता रब का कसना था
खुद को अंत तक घसना था, दुसमनों पर हँसना था
सड़ेली यादें दफ़नाता, अलग उड़ने का सपना था
समाज कब मुझे अपनाता, मुझे लड़ना था, आगे बढ़ना था
था मैं अकेला, ये खेल खेला मैं अकेला, मेरी जीत में सब आरेले
शामिल मेरे हार में कौन? ज़रूरत पे साथ में कौन?
फुकट कौन और काम में कौन?
वालिद की परसों से गाड़ी तू लेकर
जीता तो जीत तुझे मुबारक हो
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी की असलीयत है
घर पे पत्ते माँ को देके, वापस field पे ज़रा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो बोझ बनती
वज़नी कंधे, अंतिम पल में, असली बनने आरा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो मुसीबत है
आधे रास्ते हार से डर कर, वापस मुड़ के जारा कौन
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी एक फ़लसफ़ा है
खाली पन्ने खुद से भरने, नफ़्ज से लड़ने आरा कौन
अभी तक की पीढ़ी मेरी हार से नहीं डरी
कभी तक के झेलूँ संसार की ये दुश्वारी
जभी तक मैं ज़िन्दा हूँ, मैं डट के यूँ ही लड़ेगा
कभी तक की क्षमता है ये पता भी तो चलेगा
सही सच का झंडा लेते कहीं नहीं पहुँचा मैं
झूठ और फरेब से ये दुनिया पूरी भरी पड़ी
अमीर लड़का देखा तो फिर रिश्ते कैसे बदल गए
गरीब है तू दिल से, चाहे जितना फिर तू rich रहे
पहाड़ यहाँ टूटू है जब अच्छे लोग बुरे बने
एहतियात करना बेहतर इलाज से कौन भुगत रहे
मिसाल बन के चलना है, missile बनती खड़े-खड़े
लेटोगे तो जागोगे तुम, हार वहीं पड़े-पड़े
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी की असलीयत है
घर पे पत्ते माँ को देके, वापस field पे ज़रा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो बोझ बनती
वज़नी कंधे, अंतिम पल में, असली बनने आरा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो मुसीबत है
आधे रास्ते हार से डर कर, वापस मुड़ के जारा कौन
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी एक फ़लसफ़ा है
खाली पन्ने खुद से भरने, नफ़्ज से लड़ने आरा कौन
जीता कौन—हारा कौन? कौन जीता, कौन हारा?
क्या कौन जीता कौन, कौन, कौन, कौन, कौन?
और एक बार
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी की असलीयत है
घर पे पत्ते माँ को देके, वापस field पे ज़रा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो बोझ बनती
वज़नी कंधे, अंतिम पल में, असली बनने आरा कौन?
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी तो मुसीबत है
आधे रास्ते हार से डर कर, वापस मुड़ के जारा कौन
जीता कौन, हारा कौन? ज़िन्दगी एक फ़लसफ़ा है
खाली पन्ने खुद से भरने, नफ़्ज से लड़ने आरा कौन
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