जिस्म के समंदर में एक लहर जो ठहरी है उसमें थोड़ी हरक़त होने दो, होने दो शायरी सुनाती इन दो नशीली आँखों को मुझको पास आ के पढ़ने दो दूर से ही तुम जी भर के देखो तुम ही कहो कैसे दूर से देखूँ अब सँभलना नहीं है जो भी है वो सही है आओ ना चाँद छुपा बादल में शर्मा के, मेरी जानाँ सीने से लग जा तू बलखा के, मेरी जानाँ Hmm, गुमसुम सा है, गुपचुप सा है मदहोश है, खामोश है ये समाँ, हाँ, ये समाँ कुछ और है ♪ रोकना नहीं मुझको ज़िद पे आ गई हूँ मैं इस क़दर दीवानापन चढ़ा देखो ना यहाँ आ के मेरा हाल कैसा है टूट के अभी तक ना जुड़ा प्यार तो नाम है सब्र का, हमदम वो ही भला बोलो कैसे सहे हम सावन की राह जैसे देखे मोर है तुम्हें अपना बनाने की क़सम खाई है, खाई है "मुझे नज़रों में रख लो तुम कहीं" कहना ये तुमसे है चाँद छुपा बदल में शर्मा के, मेरी जानाँ सीने से लग जा तू बलखा के, मेरी जानाँ