ज़िन्दगी से डरते हो ज़िन्दगी से डरते हो ज़िन्दगी से डरते हो ज़िन्दगी से डरते हो ज़िन्दगी तो तुम भी हो ज़िन्दगी तो तुम भी हो ज़िन्दगी तो हम भी हैं आदमी से डरते हो आदमी से डरते हो आदमी तो तुम भी हो आदमी तो तुम भी हो आदमी तो हम भी हैं तुम अभी से डरते हो आदमी जुबां भी है आदमी बयां भी है आदमी जुबां भी है आदमी बयां भी है हर्फ़ और मानी के रिश्ते हाय आहन से आदमी है वाबस्ता आदमी के दामन आदमी के दामन से, ज़िन्दगी है वाबस्ता इससे तुम नहीं डरते हो इससे तुम नहीं डरते हो अनकही से डरते हो जो अभी नहीं आई उस घडी की आमद की आगही से डरते हो तुम अभी से डरते हो पहले भी तो गुज़रे हैं पहले भी तो गुज़रे हैं दौर नार साई के बेरेया खुदाई के फिर भी ये समझते हो पहले भी तो गुज़रे हैं दौर नार साई के बेरेया खुदाई के फिर भी ये समझते हो फिर भी ये समझते हो हेच आज़ारूमंदी ये शबे ज़बांबंदी है रहे खुदाबंदी तुम यही समझते हो तुम अगर ये क्या जानो लब मगर नहीं हिलते हाथ जाग उठते हैं हाथ बोल उठते हैं सुबह की अज़ान बन कर रौशनी से डरते हो रौशनी तो तुम भी हो रौशनी तो हम भी हैं तुम अभी से डरते हो राहे शौक में जैसे राहरों का खूं लपके इक नया जुनूं लपके राहे शौक में जैसे राहरों का खूं लपके इक नया जुनूं लपके मौत भी झलक उठे आदमी हँसे देखो शहर फिर बसे देखो तुम अभी से डरते हो तुम अभी से डरते हो तुम अभी से डरते हो तुम अभी से डरते हो