रात हिंडोले पे बैठा एक रात हिंडोले पे बैठा एक बंदा रोता झूल गया रात हिंडोले पे बैठा एक बंदा रोता झूल गया पढ़ ली आज क़ुरान मगर मैं पढ़ ली आज क़ुरान मगर मैं आयतों को भूल गया ♪ रात हिंडोले पे बैठा एक रात हिंडोले पे बैठा एक बंदा रोता झूल गया पढ़ ली आज क़ुरान मगर मैं पढ़ ली आज क़ुरान मगर मैं आयतों को भूल गया ♪ काहे रे मौला को ढूँढे हैं काहे रे मौला को ढूँढे हैं इस मकड़ी के जाले में वही बात मदीना में है वही बात मदीना में है जो है बात शिवालय में रात हिंडोले पे बैठा एक बंदा रोता झूल गया पढ़ ली आज क़ुरान मगर मैं पढ़ ली आज क़ुरान मगर मैं आयतों को भूल गया