छोड़ आये हम वो गलियां छोड़ आये हम वो गलियां (वो गलियां) छोड़ आये हम वो गलियां छोड़ आये हम वो गलियां जहां तेरे पैरों के कमल गिरा करते थे हंसे तो दो गालों में भंवर पडा करते थे हो, जहां तेरे पैरों के कमल गिरा करते थे हंसे तो दो गालों में भंवर पडा करते थे हो, तेरी कमर के बल पे नदी मुडा करती थी हंसी तेरी सुन सुन के फसल पका करती थी छोड़ आये हम वो गलियां छोड़ आये हम वो गलियां जहां तेरी एडी से धुप उडा करती थी सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती हैं हो, जहां तेरी एडी से धुप उडा करती थी सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती हैं हां, लटों से उलझी लिपटी एक रात हुआ करती थी हो, कभी कभी तकीए पे वो भी मिला करती हैं छोड़ आये हम वो गलियां छोड़ आये हम वो गलियां दिल दर्द का टुकडा है पत्थर की डली सी है एक अंधा कुंवां है या एक बंद गली सी है एक छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता मैं लाख जलाता हूं ये भस्म नहीं होता ये भस्म नहीं होता छोड़ आये हम वो गलियां छोड़ आये हम वो गलियां