चुप चुप हो तुम गुमसूँ खड़े आँखों में है प्यार लिए कहता है दिल तुम आओगे आ जाओं ना क्यूँ हो खड़े यह सब बातें जब याद आए पलकों से आँसू ताप ताप बाहें मिलते थे जब हम कहते थे दिल का सकूँ तुम ही तो हो आँखों से तुम पढ़ लेते थे हालें दिल जो भी हो उड़ते सूरज को देखते थे और फिर चाँदनी दर्शन करे चुप चुप हो तुम गुमसूँ खड़े आँखों में है प्यार लिए छोड़ के घर चला जौन कभी आँखों में आँसू ना लाना सनम प्यार से जब भी याद करोगे यादों में चला अवँगा मैं सनम रास्ता कथन मंज़िल नहीं फिर भी मैं क्यूँ रुकता नहीं जाता हूँ अब भी उस जगह पे जहाँ बैठते हम भी कभी वो नकसा है सब है वहाँ पर जिन्हें बनाया करते थे चुप चुप हो तुम गुमसूँ खड़े आँखों में है प्यार लिए कहता है दिल तुम आओगे आ जाओं ना क्यूँ हो ...