ये हौसला कैसे झुके ये आरज़ू कैसे रुके ये हौसला कैसे झुके ये आरज़ू कैसे रुके मंज़िल मुश्किल तो क्या? धुँधला साहिल तो क्या? तन्हा ये दिल तो क्या? हो राह पे काँटे बिखरे अगर उस पे तो फिर भी चलना ही है शाम, छुपा ले सूरज, मगर रात को एक दिन ढलना ही है रुत ये टल जाएगी हिम्मत रंग लाएगी सुबह फिर आएगी, हो ये हौसला कैसे झुके ये आरज़ू कैसे रुके ये हौसला कैसे झुके ये आरज़ू कैसे रुके होगी हमें जो रहमत अता धूप कटेगी साए ताले अपनी ख़ुदा से है ये दुआ मंज़िल लगा ले हमको गले जुर्रत १०० बार रहे ऊँचा इक़रार रहे ज़िंदा हर प्यार रहे, हो ये हौसला कैसे झुके ये आरज़ू कैसे रुके ये हौसला कैसे झुके ये आरज़ू कैसे रुके