सुबह ऐसी आये उतरे पहाड़ों से धीमे-धीमे कुछ धूप के साये जाता लम्हा रुक जाये ♪ इक धुन कहीं दूर से आये गूँजे वादी में मन की गहराई को छू कर जाये आँचल सा लहराये ♪ ये नदिया क्यूँ इतराये? जाने किस राह से आये! कौन सी राह को बहती जाये! जाने कहाँ छिप जाये! ♪ बंजारा दिल ये गाये बिछड़ा कोई मिल जाये जाने वो रुत कब आये हो, बंजारा दिल ये गाये बिछड़ा कोई मिल जाये जाने वो रुत कब आये हाँ, hmm, हाँ ♪ जाने ये रात के साये चुपके-चुपके वादी में ख़ामोशी की गूँज सुनाये सारा आलम खो जाये ♪ कोई बंधन ना रह जाये कोई सुबह ऐसी आये ♪ बंजारा दिल ये गाये बिछड़ा कोई मिल जाये जाने वो रुत कब आये हो, बंजारा दिल ये गाये बिछड़ा कोई मिल जाये जाने वो रुत कब आये ♪ बंजारा बंजारा दिल ये गाये बिछड़ा कोई मिल जाये जाने वो रुत कब आये, ओ