सुबह हुई, रात किधर गई? अभी तो हम मिले थे तेरी हँसी, मेरी शरारतें कि दिल पिघल रहे थे कहीं तो चलते हैं तू और मैं वहीं और रह जाते हैं खाली-खाली हैं बैठे, भरा-भरा ये समाँ तेरी आँखों में है जो मैंने कह दिया Pa-ra-ta-ra खाली-खाली हैं बैठे, भरा-भरा ये समाँ तेरी आँखों में है जो मैंने कह दिया कहने को कुछ भी नहीं पर बातें रुकी नहीं हैं धूप से हम छिप रहे अपनी अलग दुनिया में कहीं तो चलते हैं तू और मैं वहीं और रह जाते हैं खाली-खाली हैं बैठे, भरा-भरा ये समाँ तेरी आँखों में है जो मैंने कह दिया खाली-खाली हैं बैठे, भरा-भरा ये समाँ तेरी आँखों में है जो मैंने (कह दिया) (खाली-खाली हैं बैठे, भरा-भरा ये समाँ) (तेरी आँखों में है जो मैंने कह दिया) कहीं तो चलते हैं तू और मैं कहीं तो चलते हैं तू और मैं कहीं तो चलते हैं तू और मैं वहीं और रह जाते हैं