संग तेरे जो शाम है उसमें ही आराम है हाँ, संग तेरे जो शाम है उसमें ही आराम है पर बेड़ियाँ जो हैं चुनी ये तोड़ दूँ या कि नहीं? (या कि नहीं?) कश्मकश की ये इंतिहा है कश्मकश ये क्यूँ ख़्वाह-मख़ाह है? उलझा हूँ मैं, उलझी है तू उलझा हूँ मैं, उलझी है तू कश्मकश की ये इंतिहा है कश्मकश ये क्यूँ ख़्वाह-मख़ाह है? उलझा हूँ मैं, उलझी है तू उलझा हूँ मैं, उलझी है तू ♪ जो दिन मिले संग में तेरे उस दिन को मैं जाने दूँ ना जो दिन मिले संग में तेरे उस दिन को मैं जाने दूँ ना जाने दूँ ना है बेरुख़ी, हाल-ए-जिया अरमान ये है, पा ले पिया पर बेड़ियाँ जो हैं चुनी ये तोड़ दूँ या कि नहीं? (कश्मकश की हैं जो दीवारें), हैं जो दीवारें (क्यूँ ना दोनों उन्हें गिरा दें?) उन्हें गिरा दें (ता-उम्र वो हो रू-ब-रू), हो रू-ब-रू (ता-उम्र वो हो रू-ब-रू), हो रू-ब-रू (कश्मकश की हैं जो दीवारें), हैं जो दीवारें (क्यूँ ना दोनों उन्हें गिरा दें?) उन्हें गिरा दें (ता-उम्र वो हो रू-ब-रू, ता-उम्र वो...) ता-उम्र वो हो रू-ब-रू हो रू-ब-रू