तू लबों से बेसक कुछ ना कहे मैं आँखों से बातें कर लूँगा तू इश्क़ की है एक मीठी ग़ज़ल तुझे शाम-सवेरे पढ़ लूँगा जो राहों में 'गर तू आए नज़र तुझे छुप-छुप कर मैं तक लूँगा दिल ये मेरा तुझपे आया तू ही दिल को रास आया दिल ये मेरा तुझपे आया तू ही दिल को रास आया सुबह में मेरी, शामों में मेरी अब शामिल होंगी दिलदारियाँ ओ, मंज़िलें ये मेरी, चाहतें हैं तेरी साँसों में ना अब होंगी बेजारियाँ दूर ना एक पल रह पाऊँ बन जाऊँ तेरी परछाईयाँ जब से हुआ हूँ तेरा दीवाना खुद से हुई बेदारियाँ दिल ये मेरा तुझपे आया तू ही दिल को रास आया दिल ये मेरा तुझपे आया तू ही दिल को रास आया नींदों ने मेरी ख्वाबों की तेरे कर ली है तेरी क़सम तैयारियाँ ओ, सपने ये तेरे, सपने हैं मेरे बस तुझसे है, ओ सनम, मेरी यारियाँ जब से है देखा तुझे पहली दफ़ा समझा मैं इश्क़ की गहराईयाँ अब करना चाहूँ हर पल बस तेरी दीदारियाँ दिल ये मेरा तुझपे आया तू ही दिल को रास आया दिल ये मेरा तुझपे आया तू ही दिल को रास आया