ऋषिमुनियों का स्वर्ग धानम इसी वन में है अग्नि वर्षम पहले ही प्रेम का पहला ही घाव ये देखेगा वन सारा शादी का मंडप ये स्वयंवर मेरा हुआ ही नहीं स्वयं राजा की इच्छा से हुई मीठा सा प्यार सा तीर दागा दिल मेरा कोमल हाथ लागा, हाँ ऋषिमुनियों का स्वर्ग धानम इसी वन में है अग्नि वर्षम ♪ वन में मैं फूलों की खोज में थी देखते ही तुमको दिल में हूक उठी वन में था मैं शिकारी बन के यूँ चला देख के तुमको मैं शिकार हुआ तितलियाँ भी फड़-फड़ाती कहते तुम हो, मोहिनी उड़ती-चुभती तलवार लगती कहते तुम हो, कामिनी जैसे तुमको मैंने पाया सब वनवासी जल उठे सच में? आओ पास मेरे स्वयंवर मेरा हुआ ही नहीं स्वयं राजा की इच्छा से हुई ♪ लेके चलो सपनों की नदियों में वहाँ जहाँ पे बस प्यार ही हो, प्यार, हाँ यूँ ही तुम, मालिनी, नदी पे ना रहो उड़ चलो साथ मेरे, कोकिला एक ऐसा जहाँ वहाँ होगा मन को जो लुभाएगा जो छल-कपट से दूर होगा मन से स्वाद कम करेगा जैसे चंद्रमा की चमक इस दुनिया पे चमक ना, प्रिये हाँ, तुम हाँ, हम दोनों ऋषिमुनियों का स्वर्ग धानम इसी वन में है अग्नि वर्षम