मेरी आँखों में खो जाना, मेरे दिल को यूँ भड़काना तेरी मीठी बातों की सज़ा दिल टूटा तो मैं सहारा, दिन हो या रात के १२ तेरी मुश्किलों में मैं यहाँ, बेवफ़ा ओ, दिल मेरा जब चाहे तू बहकाए पास तू रहे, पर पास नहीं आए दोस्त मैं रहूँ, पर तू चाहे क्या? जब तेरे दिल में कोई नया आए मुझ को तू हर वक्त क्यूँ भूल जाए? कैसे सहूँ बेताबियाँ? बेताबियाँ तक़लीफ़ मुझे तू दिलाए पहले मुझे दोस्त बनाए फिर अपनी ये गुस्ताख़ियाँ समझूँ तो मैं क्या समझूँ? दिल अपने क़ाबू में रख लूँ अजीब हैं ये नज़दीकियाँ, बेवफ़ा दिल मेरा जब चाहे तू बहकाए पास तू रहे, पर पास नहीं आए दोस्त मैं रहूँ, पर तू चाहे क्या? जब तेरे दिल में कोई नया आए मुझ को तू हर वक्त क्यूँ भूल जाए? कैसे सहूँ बेताबियाँ? बेताबियाँ, हाँ ♪ दिल से मैं क्या कहूँ? दोस्ती या दिल दे दूँ? क्या चाहती है तू सूली पर मैं चढ़ूँ? तू कहाँ? हाँ दिल मेरा जब चाहे तू बहकाए पास तू रहे, पर पास नहीं आए दोस्त मैं रहूँ, पर तू चाहे क्या? (तू चाहे क्या?) जब तेरे दिल में कोई नया आए मुझ को तू हर वक्त क्यूँ भूल जाए? कैसे सहूँ बेताबियाँ? बेताबियाँ, हाँ (बेताबियाँ) दिल मेरा जब चाहे तू बहकाए पास तू रहे, पर पास नहीं आए दोस्त मैं रहूँ, पर तू चाहे क्या? (तू चाहे क्या?) जब तेरे दिल में कोई नया आए मुझ को तू हर वक्त क्यूँ भूल जाए? कैसे सहूँ बेताबियाँ? बेताबियाँ (बेताबियाँ)