शैतानियाँ, नादानियाँ तेरे ही संग अच्छी लगी परियों की जो कहानी सुनी, मिलके तुम्हें सच्ची लगी शैतानियाँ, नादानियाँ तेरे ही संग अच्छी लगी परियों की जो कहानी सुनी, मिलके तुम्हें सच्ची लगी तू बहे है रगों में मेरे, जैसे बादलों में बिजलियाँ हैं दौड़ा करे मुस्कुराता है मेरा जहाँ, मुझसे हँस के जब तू बातें करे पहली दफ़ा जब थे मिले (जब थे मिले) तब से मेरे मन में बसी कितना मुझे बहाए लहर, कश्ती हूँ मैं किनारे बंधी ♪ इशारा करे, पुकारा करे, नज़रें तेरी दिल उतारा करे रेत के घर जैसा मैं बन गया, तोड़े तू ही, तू बनाया करे कह दिया है तुमसे मैंने जाने कितनी ही दफ़ा ये ख़्वाब में मैं तुम्हारा बन गया हूँ, अब तो चल भी दो ना मेरे साथ में चाहे लिखो, इशारे करो या फिर निगाहों से कर दो बयाँ दिल में तेरे मेरे लिए ख़्वाब है या बस ख़याल मेरा?