उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक शो'ला सा लपक जाए है, आवाज़ तो देखो! शम'अ-ख़ाना की इस यादगार महफ़िल-ए-मूसीक़ी में अपनी आवाज़ के शो'ले से ग़ज़ल गायकी के चराग़ जलाने वाले अनोखे ख़ूब-रू फ़नकार हैं Pankaj Udhas Pankaj Udhas के ग़ज़ल गायकी का ख़ास पहलू ये है कि ये ग़ज़ल को सहल धुनों में ढालकर, सीधे-साधे सुरों में सजाकर इस तरह पेश करते हैं कि एक आम आदमी भी इसका पूरा लुत्फ़ उठा सकता है शायद इसीलिए, जो भी Pankaj Udhas को एक बार सुन लेता है वो इन्हें दोबारा सुनने के लिए मुकर्रर-मुकर्रर कहने पर मजबूर हो जाता है दोस्तों, आपके सामने Saeed Rahi की लिखी हुई ग़ज़ल पेश है ♪ क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल (आ-हा-हा, वाह! क्या बात है! वाह!) क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल ♪ पूछा जो मैंने उससे कि है ख़ुश-नसीब कौन? पूछा जो मैंने उससे कि है कौन ख़ुश-नसीब? पूछा... पूछा जो मैंने उससे कि है कौन ख़ुश-नसीब? आँखों से मुस्कुरा के लगाई मेरी ग़ज़ल (आ-हा, क्या बात है!) आँखों से मुस्कुरा के लगाई मेरी ग़ज़ल उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल ♪ एक-एक लफ़्ज़ बन के उड़ा था धुआँ-धुआँ (आ-हा) एक-एक लफ़्ज़ बन के उड़ा था धुआँ-धुआँ ...उड़ा था धुआँ-धुआँ (क्या बात है!) ...धुआँ-धुआँ एक-एक लफ़्ज़ बन के उड़ा था धुआँ-धुआँ उसने जो गुनगुना के सुनाई मेरी ग़ज़ल (आ-हा-हा-हा, क्या बात है! वाह-वाह-वाह! बहुत अच्छे!) उसने जो गुनगुना के सुनाई मेरी ग़ज़ल उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल ♪ हर एक शख़्स मेरी ग़ज़ल गुनगुनाए है (वाह! क्या बात है) हर एक शख़्स मेरी ग़ज़ल गुनगुनाए है Raahi, तेरी ज़ुबाँ पे ना आई मेरी ग़ज़ल (आ-हा, क्या बात है! वाह! बहुत अच्छे) Raahi, तेरी ज़ुबाँ पे ना आई मेरी ग़ज़ल उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल (वाह-वाह-वाह!) क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल (वाह!)