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Vinod Khanna - Kash Main Koi Panchhi Hota lyrics

Artist: Vinod Khanna

album: Prem Dharam


काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा

काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता, हो, हो

मस्त हवा का झूला झूलूँ
उड़ के नील गगन को छू लूँ
ओ, मस्त हवा का झूला झूलूँ
उड़ के नील गगन को छू लूँ
मैं हूँ इस धरती का क़ैदी
इस सच को मैं कैसे भूलूँ
काश मैं कोई बादल होता या आकाश का तारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता, हो, हो

बरसों से बेचैन बड़ा हूँ
रस्ते में पत्थर सा पड़ा हूँ
ओ, बरसों से बेचैन बड़ा हूँ
रस्ते में पत्थर सा पड़ा हूँ
याद नहीं मैं जाने कब से
एक जगह पर यहीं खड़ा हूँ
काश मैं कोई माझी होता या नदिया का धारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता, हो, हो

नयी-नयी ये रुत मस्तानी
दर्पण जैसा साफ़ ये पानी
नयी-नयी ये रुत मस्तानी
दर्पण जैसा साफ़ ये पानी
लेकिन मेरी वो ही पुरानी
ये सूरत जानी-पहचानी
काश मैं कोई दूजा होता लेता जनम दोबारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता, हो, हो

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