यादें, वो रातें, जिसमें ना रुकती थी बातें, ना रुकता था पल जा चुका है वो सब दूर से मुस्कुरा दे, मिलने मैं आऊँगा तुझसे ये शिकवे हो जाएँगे दूर जब तुझे देख के मन में सवाल है क्या आज भी कहीं वो बात है? कहना भी चाहूँ तो कह ना सकूँ देख के दिल को मिला है सुकूँ क्या करूँ? हुआ यूँ क्यूँ? आँखों में आज भी वैसा जुनूँ बदला नहीं जैसे वक़्त ये यूँ क्या करूँ? हुआ यूँ क्यूँ? ♪ दूरी ना ज़रा सी, जैसे हुए ही ना थे हम जुदा लगता है वही आज भी आँखें कहने लगीं, ख़ामोशियाँ कर रही हैं बयाँ दास्ताँ कुछ मेरी अनकही एक अरसा हुआ देखे तुझे मैं भूल गई ये शिकवे मेरे कहना भी चाहूँ तो कह ना सकूँ देख के दिल को मिला है सुकूँ क्या करूँ? हुआ यूँ क्यूँ? सबसे घिरी फिर अकेली हूँ क्यूँ? दर्द में भी ये कैसा जुनूँ? क्या करूँ? हुआ यूँ क्यूँ? एक वक़्त था, हाँ, जिनमें डर सा था लगा वो पल में रहती थी नहीं तू जिनमें क़रीब फ़ैसला ये हम दोनों का, ले आया हमें कहाँ पे प्यार आज भी ना हुआ हमको क्यूँ नसीब? काश पो पल लौटा दे कोई तो मुझे फिर से जाने दूँगा इस बार तुझे कहना भी चाहूँ तो कह ना सकूँ देख के दिल को मिला है सुकूँ क्या करूँ? हुआ यूँ क्यूँ? कहना भी चाहूँ तो कह ना सकूँ देख के दिल को मिला है सुकूँ क्या करूँ? हुआ यूँ क्यूँ? हुआ यूँ क्यूँ?