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Akhil Sachdeva - Humsafar (Zaalima) [From "Humsafar (Zaalima)"] lyrics

Artist: Akhil Sachdeva

album: Best Of Akhil Sachdeva


सुन मेरे हमसफ़र, क्या तुझे इतनी सी भी ख़बर

ज़ालिमा, ज़ालिमा
सुन मेरे हमसफ़र, क्या तुझे इतनी सी भी ख़बर
की तेरी साँसें चलती जिधर, रहूँगा बस वहीं उम्र भर
रहूँगा बस वहीं उम्र भर, हाए

जितनी हंसीं ये मुलाक़ातें हैं
उनसे भी प्यारी तेरी बातें हैं
बातों में तेरी जो खो जाते हैं
आऊँ ना होश में मैं कभी
बाँहों में है तेरी ज़िंदगी, हाए
है नहीं था पता, के तुझे मान लूँगा खुदा
के तेरी गलियों में इस क़दर आऊँगा हर पहर
रहूँगा बस वही उम्र भर, हाए

ज़ालिमा, ज़ालिमा...
ज़ालिमा
मैं तो यूँ खड़ा किस सोच में पड़ा था
कैसे जी रहा था मैं दीवाना
छुपके से आके तूने, दिल में समा के तूने
छेड़ दिया कैसा ये फ़साना
ओ, मुस्कुराना भी तुझी से सीखा है
दिल लगाने का तू ही तरीक़ा है
ऐतबार भी तुझी से होता है
आऊँ ना होश में मैं कभी
बाँहों में है तेरी ज़िंदगी, हाए
सुन मेरे हमसफ़र, क्या तुझे इतनी सी भी ख़बर
की तेरी साँसें चलती जिधर, रहूँगा बस वहीं उम्र भर
रहूँगा बस वहीं उम्र भर, हाए

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