ये जो ग़म दिया है, कम दिया है, और दो ना हक़ बेवफ़ाई का पूरा अदा करो ना ये जो ग़म दिया है, कम दिया है, और दो ना हक़ बेवफ़ाई का पूरा अदा करो ना ये जो ग़म दिया है... ♪ टूटा एक बार मेरा कुछ दूर चल के देखा जुदाई की आग में जल के ओ, टूटा एक बार मेरा कुछ दूर चल के देखा जुदाई की आग में जल के भीगी हैं अश्कों से ये पलकें ये सितम किया है, कम किया है, क्यूँ कहो ना? हक़ बेवफ़ाई का पूरा अदा करो ना ये जो ग़म दिया है... ♪ आईना टूट के जुड़ता नहीं है वक़्त गया तो मुड़ता नहीं है आईना टूट के जुड़ता नहीं है वक़्त गया तो मुड़ता नहीं है परों बिन परिंदा उड़ता नहीं है ये जो ज़ख़्म दिया है, दिल लिया है, जाँ भी लो ना हक़ बेवफ़ाई का पूरा अदा करो ना ये जो ग़म दिया है, कम दिया है, और दो ना हक़ बेवफ़ाई का पूरा अदा करो ना ये जो ग़म दिया है...