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Agam Kumar Nigam - Raat Katati Hai Taare Gin Gin Ke lyrics

Artist: Agam Kumar Nigam

album: Bewafaai Ka Aalam


रात कटती है तारे गिन-गिन के
और सोने से भी डर लगता है
रात कटती है तारे गिन-गिन के
और सोने से भी डर लगता है
नींद आई तो तेरे ख़्वाब चले आएँगे
रात कटती है तारे गिन-गिन के
और सोने से भी डर लगता है

तुम तो जिस दिन से गए हो, मेरी ये हालत है
ना तो है चैन कहीं पे, कहीं पे राहत है
दर्द बढ़ता है तो फिर हद से गुज़र जाता है
दिल तो टूटे हुए शीशे सा बिखर जाता है
फिर मैं रोता हूँ थोड़ा छुप-छुप के
और रोने से भी डर लगता है
फिर मैं रोता हूँ थोड़ा छुप-छुप के
और रोने से भी डर लगता है
मेरे अश्कों में तेरे ख़्वाब भी बह जाएँगे
रात कटती है तारे गिन-गिन के
और सोने से भी डर लगता है

अब तो मक़्सद भी नहीं कुछ मेरे जीने के लिए
वक्त भी पास नहीं ज़ख्मों को सीने के लिए
ग़म का सैलाब बड़ी ज़ोर से टकराता है
देखो अब दिल का धड़कना भी रुका जाता है
दिल धड़कता है थोड़ा रुक-रुक के
उसके रुकने से भी डर लगता है
दिल धड़कता है थोड़ा रुक-रुक के
उसके रुकने से भी डर लगता है
दिल रुका आज तो फिर ख़्वाब भी रुक जाएँगे
रात कटती है तारे गिन-गिन के
और सोने से भी डर लगता है
और सोने से भी डर लगता है
और सोने से भी डर लगता है

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