कल सुबह सोचेंगे जो आज रात किया कल सुबह गिन लेंगे सारी ग़लतियाँ तू मेरा अभी, हो जाना अजनबी फिर हम मिलेंगे ना कभी सौ तरह के रोग ले लून तू कहे तो जान दे दूँ कहने में हर्ज़ क्या है कहने में हर्ज़ क्या है इश्क़ का मर्ज़ क्या है क्या है, क्या है बाहों को बाहों में दे दे तू जगह तुझसे तो दो पल का मतलब है मेरा तेरे जैसे ही मेरा भी दिल ख़ुदग़र्ज़ सा है तू कहे तो जान दे दूँ कहने में हर्ज़ क्या है