दिल का तन्हा परिंदा फिर से उड़ने चला है जादू मैंने किया ये या फिर मुझपे चला है? पहला तो नहीं, पर तुम इश्क़ हो आख़िरी दर पे अब तुम्हारे होगी मेरी हर दिन हाज़िरी जादूगरी फिर इश्क़ ने की बढ़ने लगीं ख़ुश-फ़हमियाँ जादूगरी फिर इश्क़ ने की उड़ता फ़िरूँ बे-आसमाँ ♪ तुम हो जो राज़ी, मेहमाँ-नवाज़ी यूँ ही करता रहूँ चाँद का कंगन, तारों का एक वन दामन में ला रखूँ ज़िंदगी से फिर कुछ ना माँगूँ मैं, जो तुम हो हासिल मुझे पहला तो नहीं, पर तुम इश्क़ हो आख़िरी दर पे अब तुम्हारे होगी मेरी हर दिन हाज़िरी जादूगरी फिर इश्क़ ने की बढ़ने लगीं ख़ुश-फ़हमियाँ जादूगरी फिर इश्क़ ने की उड़ता फ़िरूँ बे-आसमाँ