कहना ही क्या, ये नैन एक अंजान से जो मिले चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले अरमाँ नए ऐसे दिल में खिले जिनको कभी मैं ना जानूँ वो हमसे, हम उनसे कभी ना मिले कैसे मिले दिल, ना जानूँ अब क्या करें? क्या नाम लें? कैसे उन्हें मैं पुकारूँ? कहना ही क्या, ये नैन एक अंजान से जो मिले चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले ♪ पहली ही नज़र में कुछ हम, कुछ तुम हो जातें हैं यूँ गुम नैनों से बरसे (रिमझिम) रिमझिम हम पे प्यार का सावन शर्म थोड़ी-थोड़ी हमको आए तो नज़रें झुक जाएँ सितम थोड़ा-थोड़ा हम पे झोंक हवा भी कर जाए ऐसे चलें, आँचल उड़े दिल में एक तूफ़ाँ उठे हम तो लुट गए खड़े ही खड़े ♪ चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले ♪ हाँ, इन होंठों ने माँगा सरगम सरगम तू, और तेरा ही प्यार है आँखें ढूँढें हैं जिसको हर दम हर दम तू, और तेरा ही प्यार है महफ़िल में भी तन्हा है दिल ऐसे, दिल ऐसे तुझको खो ना दे डरता है ये ऐसे, ये ऐसे आज मिली ऐसी खुशी झूम उठी दुनिया ये मेरी तुमको पाया तो पाई ज़िंदगी ♪ कहना ही क्या...