Kishore Kumar Hits

Darzi - Zakham lyrics

Artist: Darzi

album: Awaaz


तूने जो लिया
सब लिया
दिल भी तो थाम दिया
चाहता है क्या, तू मुझसे
पैसा, ये कैसा
मतलबी, तू ऐसा
वह आया तलब में
बैठा नफरत में
उसकी आँखें गलत हैं
उजड़ी शकल है
माँगा मेरा तन है
और सब कुछ जो धन है
पर वह ना मिला
वह आये, बुलाये
जीना सिखाये
और गाये, सुनाये
सब कुछ करवाए
बेहलाये फुसलाये
जेबें भरवाए
तड़पाये तड़पाये तड़पाये
बताये, जताये
सीना जलाये
समझाए, डराए
ज़मीनें चुराए
वह दिखाए, हसवाये
घमंड में मुस्कुराये
रुलाये रुलाये रुलाये
मैं डूबी कुए में
फन्दा गले में
बेकरारी समय में
कुछ ना भले में
ये नमक है जले पे
जलते कलेजे
अंधेरे अंधेरे अंधेरे
सब कुछ नरम है
जीना शर्म है
ओह ये कैसा करम है
क्या मेरा सितम है
जो ना पाया खतम है
गहरा ज़ख्म है
ज़ख्म है ज़ख्म है ज़ख्म है

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