रात एक क़िस्से में हुआ था ज़िक्र तेरा बातों ही बातों में फिर हो गया सवेरा एक उदासी सी वो ना गई शोर-गुल धुएँ में गुज़र गया था सारा रात को जो लौटा घर थका-थका सा हारा उदासी वो, वो ना गई ♪ चाय की फिर पी गरम-गरम प्याली सिगरेटों के धुएँ में गुज़री थी रात सारी एक उदासी वो, वो ना गई तेरी याद में एक और शाम गुज़रे तेरी याद में एक और जाम गुज़रे ♪ शाम हुई रात, रात बनी सवेरा एक और क़िस्से में हुआ था ज़िक्र तेरा उदासी वो, वो ना गई तेरी याद में एक और शाम गुज़रे तेरी याद में एक और जाम गुज़रे तेरी याद में एक और शाम गुज़रे तेरी याद में एक और जाम गुज़रे