धुआँ उड़ा है ना जाने कहाँ से मेरी गली में यूँ उड़ता लहरा के तेरी खुशबू है उसमें यूँ समाई जो लगते तो धड़कन मेरी यूँ थम जाती ये प्रेम पत्र आया है, तेरे ही घर से आया है नाम उस का माही है, उसका ही जादू हावी है मेरी ज़ुबाँ पे तू ही है, हर साँस में तू ही हे मेरे होंठों की प्यास जो है वो प्यास मेरी बुझा, ओ रे पिया ये दिल तेरा हो गया तू मेरी सुबह की रोशनी और रातों का वो चाँद तेरी साँसों की गर्मी खींचे मुझे तेरे पास और तेरी मधम सी आँखे कर दे मुझे बेक़रार ओ रे जिया, ओ माहिया हो, रे जिया, ओ माहिया वो लम्हा जो गुज़रा तेरे ही ख़यालों में वो शामें जो बीती तेरी ही बाहों में वो आँखों मैं आँखें यूँ डाल के जब देखना और शर्मा के तेरा मेरे सीने मे यूँ छुपना ये कैसा हमारा ये प्यार है शरम-वरम का ना लिहाज़ है तू मेरी और मैं तेरा और बाकी क्या अब ये जहाँ है सारी दुनिया में एक तू है हुस्न जिसका जैसे इक हूर है नहीं जीना इस दुनिया में ले जा तू मुझे, ओ रे पिया ये दिल तेरा हो गया तू मेरी सुबह की रोशनी और रातों का वो चाँद तेरी साँसों की गर्मी खींचे मुझे तेरे पास और तेरी मधम सी आँखे कर दे मुझे बेक़रार ओ, माहिया, ओ, माहिया ओ, माहिया, ओ, माहिया ओ, माहिया