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Kavita Seth - Uski Awaaz Aise Aati Hai lyrics

Artist: Kavita Seth

album: Uski Awaaz Aise Aati Hai


दिन-महीने-बरस हटाती हुई
बीच के फासले मिटाती हुई
दिल में क्या, रूह में समाती हुई
जैसे जादू कोई जगाती हुई
सुबह की ताज़गी के साथ हवा
जैसे कलियों के पास आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है

रात गहरी, बिना किनारा हो
कोई साथी हो ना सहारा हो
ना कोई चाँद ना सितारा हो
ना सहर का कोई इशारा हो
नाउम्मीदी के घोप अंधेरे में
जैसे एक शम्मा झिलमिलाती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है

रोशनी-सी है अब निगाहों में
घेर लेती हैं मुझको राहों में
ख़ुदको पाती हूँ मैं पनाहों में
कैसा जादू है इसकी बाहों में?
रंग और नूर-सा झलकता है
जैसे दुनिया नई दिखाती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
दिन-महीने-बरस हटाती हुई
बीच के फासले मिटाती हुई
दिल में क्या, रूह में समाती हुई
जैसे जादू कोई जगाती हुई
सुबह की ताज़गी के साथ हवा
जैसे कलियों के पास आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है
उसकी आवाज़ ऐसे आती है

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