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Kavita Seth - Raat Bunu Ek Sapna (Lofi Flip) lyrics

Artist: Kavita Seth

album: Raat Bunu Ek Sapna (Lofi Flip)


रात बुनूँ एक सपना, सुबह उधेड़ूँ
रात बुनूँ एक सपना, सुबह उधेड़ूँ
धागा टूट जाए कभी, रंग छूट जाए कभी
नींद की ज़िद के आगे आँखें रूठ जाएँ कभी
मन को भाए कभी, मन को ना भाए कभी
सपनों का ताना-बाना बिखर जाए कभी
मन को लुभाए कभी दूसरा सपना
रात बुनूँ एक सपना
किस चाह से तुझको पाऊँ मैं?
किस राह से तुझ तक आऊँ मैं?
किस चाह से तुझको पाऊँ मैं?
किस राह से तुझ तक आऊँ मैं?
सच और भरम के बीच से मुझे एक तरफ़ तू खींच ले
सच और भरम के बीच से मुझे एक तरफ़ तू खींच ले
ना साया है ना कोई साथी है, ना साया ना कोई साथी है
इस राह से भटक ना जाऊँ मैं
रात बुनूँ एक सपना
मन की सुनूँ के मन मारूँ मैं?
तन की ज़िद कब तक मानूँ मैं?
मन की सुनूँ के मन मारूँ मैं?
तन की ज़िद कब तक मानूँ मैं?
सुन अरज मेरी, दे तू बता
तू सू़ब जाने, तुझे सब पता
सुन अरज मेरी, दे तू बता
तू सू़ब जाने, तुझे सब पता
मेरे ग़लत को कर दे सही
मेरे ग़लत को कर दे सही
फिर ना यूँ बहक पाऊँ मैं
रात बुनूँ एक सपना, सुबह उधेड़ूँ
धागा टूट जाए कभी, रंग छूट जाए कभी
नींद की ज़िद के आगे आँखें रूठ जाएँ कभी
मन को भाए कभी, मन को ना भाए कभी
सपनों का ताना-बाना बिखर जाए कभी
मन को लुभाए कभी दूसरा सपना
रात बुनूँ एक सपना

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