कैसे कहें? कैसे कहें? कहने भी दो कैसे कहें? कैसे कहें? कहने भी दो एक साज़ धड़कनों के, एक साज़ धड़कनों के दिल का ग़म बढ़ते रहे, दिल का गम बढ़ते रहे मेरे सजना जाते रहे... मेरे सजना जाते रहे, दिल का ग़म बढ़ते रहे कैसे कहें? कैसे कहें? कहने भी दो ♪ ज़िंदगी से क्यूँ शिकवा ही रहता? दिलों पे क्यूँ क़ाबू नहीं होता? सुनो ज़रा, मेरे पास आ के कुछ कहना था हौले-हौले करते लाचार और ग़मगीन हैं हम कैसे कहें? कैसे कहें? कहने भी दो ♪ राहें नयीं, रस्ता अंबर का बन गया है सितारा मंज़र का आँसुओं में कुछ बात होती है क्या कुछ कहें टुकड़ा वो चाहत का सहने की कोशिश में हैं हम सोते रहे, सोते रहे, सोते रहे एक साज़ धड़कनों के, एक साज़ धड़कनों के दिल का ग़म बढ़ते रहे, दिल का गम बढ़ते रहे मेरे सजना जाते रहे... मेरे सजना जाते रहे, दिल का ग़म बढ़ते रहे कैसे कहें? कैसे कहें? कहने भी दो