नजारे कई हैं बिखरे हुए इन आंखों में ढलते रहें अधूरे हैं पल अधूरे ही थे तेरी राह में चल दिए ख्वाबों के मंजर में देखा था जो चेहरा आया है मिलने कहीं दूर से शामों से मांगा था रातों ने जो कतरा रोशन हुआ है तेरे नूर से है दुआ तू मेरी है सदा इश्क की तेरे बिन मैं नहीं ये शमा तेरी हुई लफ्ज़ों की स्याही से लिखते कहानी हैं हम तुम यूं मिलके जरा नजरों की डोरी से बांधे हैं चोरी से मन की ये नादानियां राहों से राहों का मिलता है जो लम्हा ऐसा यहां का ये दस्तूर है शामों से मांगा था रातों ने जो कतरा रोशन हुआ है तेरे नूर से है दुआ तू मेरी है सदा इश्क की तेरे बिन मैं नहीं ये शमां तेरी हुई