ना जाने क्यूँ... ना जाने क्यूँ एक ख़्वाब रात-भर आँखों में चुभता रहा जो इस रात की सहर ना हो तो हम-तुम मिलेंगे फिर कहीं किसी और मोड़ पे जहाँ... क्या ग़लत, क्या सही, कोई कहता नहीं बस प्यार से ही दिल रोशन है हाँ, क्या ग़लत, क्या सही, कोई कहता नहीं बस प्यार से ही दिल रोशन है ♪ ख़्वाब की गलियों में चलते हुए उन यादों में शामिल हो जाएँगे जो पूरे ना हो सके उम्र-भर अधूरे उन ख़्वाबों को हम रात-भर संजोते रहे इन आँखों में हम-तुम मिलेंगे फिर कहीं किसी और मोड़ पे जहाँ... क्या ग़लत, क्या सही, कोई कहता नहीं बस प्यार से ही दिल रोशन है ओ-ओ, क्या ग़लत, क्या सही, कोई कहता नहीं बस प्यार से ही दिल रोशन है