क्यूँ तुम रात-भर ख़्वाब में ले गए थे मुझे अपने गलियों में?
जहाँ तारे थे, नज़ारे थे, ख़ुशियाँ थी और ग़म नहीं
क्यूँ तुम रात-भर ख़्वाब में ले गए थे मुझे अपने गलियों में?
जहाँ तारे थे, नज़ारे थे, ख़ुशियाँ थी और ग़म नहीं
क्यूँ तुम...
पायल मोरी बाजे झना-न-झनन, झ-न
बाजे झना-न-न-न-न, पायल मोरी बाजे
यूँ जिस्म दो एक रूह में समा गए
दो रास्ते एक मोड़ पे जैसे आ गए
यूँ जिस्म दो एक रूह में समा गए
सारी बंदिशें तोड़ के हम और उलझनें छोड़ के हम
ख़्वाबों के अब परे हम, इन ख़्वाबों में अब बसे हम
क्यूँ तुम...
क्यूँ तुम रात-भर ख़्वाब में ले गए थे मुझे अपने गलियों में?
जहाँ तारे थे, नज़ारे थे, ख़ुशियाँ थी और ग़म नहीं
♪
सा-रे-गा, सा, रे, पा, मा, गा, रे, सा
नि, नि, नि, नि, नि, धा, धा, धा, धा, धा, धा, पा
रे, पा, मा, मा, मा, म, ग
क्यूँ बंदिशों के दायरे में ज़िंदगी?
क्यूँ ख़्वाहिशों के नाम है आवारगी ही?
क्यूँ बंदिशों के दायरे में ज़िंदगी?
अब मंज़िलें छोड़ के हम, इन रास्तों में चलें हम
इन ख़्वाबों के अब परे हम, ख़्वाबों में अब बसे हम
क्यूँ तुम...
क्यूँ तुम रात-भर ख़्वाब में ले गए थे मुझे अपने गलियों में?
जहाँ तारे थे, नज़ारे थे, ख़ुशियाँ थी और ग़म नहीं
क्यूँ तुम? क्यूँ तुम? क्यूँ तुम?
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