ये जान जाने दे कि जाएगी तो जी पाएगा ये साज़, गाने ये तू आएगी तो नहीं गाएगा तू रूप दिखाती जाती है ना रह के भी आती-जाती है यूँ कितना सताएगी मुझे ये दिल क्यूँ दुखाती जाती है? कि निंदिया ये बिन तेरे मुझसे है इतनी ख़फ़ा क्यूँ? कि अखियाँ ये ढूँढ रही हैं, कहाँ है बता तू ये शाम जाने दे, कल ये समझ जाएगा तू छोड़ जाने दे, ख़ुद ही सँभल जाएगा आजा, तू आजा, कि मन ये सँभल पाए ना आजा, तू आजा, कि कुछ ये समझ पाए ना तुझ बिन लापता-लापता सा फिरता है, मन ये मंज़र मेरा कि रूह जाने ये रास्ता, कोई और दिखता नहीं ये राब्ता आप की निगाहों से दूर जाने को है तू बाँध ऐसा गया कि ज़ालिम ये दिल सुलझता नहीं कोई टूट जाने को है, कोई भूल जाने को है कोई डोर कटने को है, कोई हाथ से छूट जाने को है कोई बोलता कुछ नहीं, मजबूर गाने को है मुझे डर भी लगता है, कोई औरों से दिल लगाने को है कि रतियाँ ये बिन तेरे मुझसे हैं इतनी ख़फ़ा क्यूँ? कि अखियाँ ये ढूँढ रही हैं, कहाँ है बता तू ये शाम जाने दे, कल ये समझ जाएगा तू छोड़ जाने दे, ख़ुद ही सँभल जाएगा आजा, तू आजा, कि मन ये सँभल पाए ना आजा, तू आजा, कि कुछ ये समझ पाए ना