कितनी लतीफ़ें हैं यहाँ पर फ़िर भी कितनी तक़लीफ़ें हैं यहाँ पर कितनी ख़ामोशियाँ हैं कितनी ख़्वाहिशें दबी-दबी सी यहाँ पर तेरी बातें, तेरी यादें भी हैं तेरे ज़ख़म, तेरे मरहम भी हैं मेरी बातें, मेरी यादें सबकुछ मेरा भी तो है वहाँ, वहाँ तू ही आना मुझे सुलाना निंदिया कहाँ आती है तेरे बिना, तेरे सिवा मेरा कौन है यहाँ? ♪ जाना था तो कहा कुछ क्यूँ नहीं? जाना था तो आया तू क्यूँ कभी? माना वो मोहब्बत है पर हम भी थे चलो कम ही सही, सही यहाँ बैठे याद कर रहा हूँ ख़्यालों में यूँ ही ढूँढता हूँ शायद हम वही ठहरे शायद कुछ बदला ही नहीं, नहीं ♪ तो तू ही आना मुझे सुलाना निंदिया कहाँ आती है तेरे बिना, तेरे सिवा मेरा कौन है यहाँ?