खिलते थे गुल कभी इस दिल की राहों में खिलता था ये कभी चेहरा किसी ख़्वाब में उड़ता था दिल कभी सपनों की राहों में उड़ती थीं ख़्वाहिशें पल-पल राहों से अब कहाँ गुम हो गए दिन वो? हैं कहाँ चले गए दिन वो? ♪ कुछ ऐसा जादू था, लम्हे हसीन थे सब अपने यार भी अपने क़रीब थे ठहरा है दिल वहीं, गुज़री उन यादों में कैसे कहूँ खुद से, "वो दिन हैं जा चुके"? अब कहाँ गुम हो गए दिन वो? हैं कहाँ चले गए दिन वो? ♪ लौटा दे मुझको कोई फ़िर से दो पल वो लम्हे जीना चाहूँ फ़िर से उन्हें रहता है मुझमें सिमटा हर पल यादों का साया वैसे भी क्या बचा मुझमें? कहीं इन रास्तों में, बदलते इन पलों में बदली है मेरी दुनिया सारी अब कहाँ गुम हो गए दिन वो? हैं कहाँ चले गए दिन वो?