क्या थी वो रात बारिशें जैसे अब ना होगी कल हैं तो बस ये पल क्या थी वो रात इस जहाँ में जैसे बाक़ी सिर्फ़ हम तो चल, हाथों में हाथ होना है जो, होने दो, कल की ख़बर नहीं पर आज मेरी काइनात तू खोना है जो, खोने दो, कल की ख़बर नहीं पर आज, hmm-mmm क्या थी वो रात काले बादलों सा ये शहर ढलता ये पहर क्या थी वो रात डूबने में संग तेरे क्या है डर? चल, हाथों में हाथ होना है जो, होने दो, कल की ख़बर नहीं पर आज मेरी काइनात तू खोना है जो, खोने दो, कल की ख़बर नहीं पर आज... रात को ना सोने दो, कितना कुछ है खोने को कि आज पूरी काइनात तू बाँहों में यूँ लेने दो, होना है जो, होने दो कि आज, hmm-mmm